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बीए सेमेस्टर-2 - भूगोल - मानव भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2715
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 - भूगोल - मानव भूगोल

अध्याय - 1
मानव भूगोल : अर्थ, प्रकृति एवं क्षेत्र

(Human Geography : Meaning, Nature and Scope)

 

आधुनिक भूगोल का परम उद्देश्य तथ्यों का केवल वर्णन ही नहीं बल्कि उनकी व्याख्या करना है। अतः जब सांस्कृतिक या मानव निर्मित तथ्यों की व्याख्या की जाती है, मनुष्य एवं पर्यावरण के पारस्परिक सम्बन्ध उभरकर सम्मुख आते हैं। इस प्रकार मानव भूगोल भूतल के विभिन्न भागों में मनुष्य और उसके पर्यावरण के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों तथा उनसे उत्पन्न परिणामों या सांस्कृतिक भूदृश्यों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। प्राचीन समय में जब मानव असभ्य था, प्रत्येक घटना प्रकृति द्वारा नियंत्रित होती थी। मनुष्य जंगली फलों, कन्दमूलों, आखेट से प्राप्त मांस, मछली आदि को खाकर क्षुधा शान्त करता था, वृक्षों की छालों, पत्तों तथा जानवरों की खालों से तन ढकता था और कन्दराओं में तथा वृक्षों पर आश्रय प्राप्त करता था। मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ प्रकृति पर मनुष्य का नियंत्रण बढ़ता गया। मानव भूगोल पृथ्वी एवं मनुष्य के बीच पारस्परिक सम्बन्धों का एक नवीन विचार प्रदान करता है जिसमें पृथ्वी के नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले मनुष्यों के पारस्परिक सम्बन्धों का अधिक संश्लिष्ट ज्ञान समाहित होता है। (वाइडल डीला ब्लाश) फ्रांसीसी भूगोलवेत्ता जीन बूंश के शब्दों में, “मानव भूगोल उन समस्त तथ्यों का समूह है जिसमें मानवीय क्रिया कार्य करती है। तथ्यों का यह मिश्रित समूह अपरिमित रूप से परिवर्तनशील तथा भिन्न होता है और प्रायः भौतिक भूगोल की सीमा के अन्तर्गत सम्मिलित होता है किन्तु यह वयोवेश मनुष्य से प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित होने के कारण सुगमता से गेय लक्षण से युक्त होता है।

मानव भूगोल एक प्रगतिशील विज्ञान है। उन्नीसवीं शताब्दी में सर्वप्रथम रैटजेल महोदय ने भौगोलिक अध्ययन में मानवीय पक्ष को भौतिक पक्ष से पृथक् करने का सराहनीय प्रयास किया तथा एक पृथक् विज्ञान के रूप में मानव भूगोल को स्थापित किया। इसके पूर्व मनुष्य एवं उससे सम्बन्धित पक्षों का अध्ययन भौतिक पक्षों के साथ ही सामान्य भूगोल के अन्तर्गत ही किया जाता था। जर्मन भूगोलवेत्ता इस तथ्य पर विशेष जोर देते थे कि किसी पर्यावरण में रहकर मनुष्य किस प्रकार अपने को पर्यावरण के अनुकूल ढाल लेता है तथा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।

 

महत्वपूर्ण तथ्य

  • भूगोल एक विशिष्ट विज्ञान है जो भूतल का वर्णन एवं व्याख्या करता है।
  • भूगोल मुख्यतः मनुष्य तथा उसके प्राकृतिक पर्यावरण के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है।
  • मानव भूगोल के अन्तर्गत मानवीय तथ्यों जैसे जनसंख्या, गृह, नगर मानवीय क्रियाओं या व्यवसायों, यातायात के साधनों आदि का अध्ययन सम्मिलित होता है।
  • वास्तव में भूगोल का अध्ययन उन्हीं तथ्यों तक सीमित रहता है जिनका सम्बन्ध किसी न किसी रूप में मनुष्य से है।
  • मनुष्य तथा पर्यावरण के बीच क्रिया-प्रतिक्रिया चलती रहती है जिससे नवीन भौगोलिक तथ्यों की उत्पत्ति होती है जिसे सांस्कृतिक तथ्य कहा जाता है।
  • मनुष्य प्राकृतिक पर्यावरण के तत्वों में परिवर्तन करके सांस्कृतिक पर्यावरण का निर्माण करता है।
  • मनुष्य स्वयं भी एक उत्कृष्ट सांस्कृतिक कारक है जो समस्त सांस्कृतिक तत्वों का निर्माता है।
  • आधुनिक भूगोल का परम उद्देश्य तथ्यों का केवल वर्णन नहीं बल्कि उनकी व्याख्या करना है।
  • फ्रैडरिक रैटजेल के अनुसार मानव भूगोल के दृश्य सर्वत्र पर्यावरण से संबंधित होते हैं जो भौतिक दशाओं का योग होता है।
  • मानव भूगोल क्रियाशील मनुष्य तथा गतिशील पृथ्वी के मध्य परिवर्तनशील संबंध का अध्ययन है।
  • मानव भूगोल उन समस्त तथ्यों का समूह है जिसमें मानवीय क्रिया कार्य करती है।
  • मानव भूगोल भौगोलिक पर्यावरण तथा मानवीय क्रियाओं तथा गुणों के पारस्परिक सम्बन्धों की प्रकृति एवं वितरण का अध्ययन है।
  • मानव भूगोल एक प्रगतिशील विज्ञान है।
  • वाइडल डी ला ब्लाश को आधुनिक फ्रांसीसी मानव भूगोल का संस्थापक माना जाता है। प्रसिद्ध भूगोलविद् एल्सवर्थ हेटिंगटन ने मानव भूगोल के तथ्यों को तीन प्रधान श्रेणियों में विभक्त किया है।
  • हंटिगटन द्वारा प्रतिपादित मानव भूगोल का क्षेत्र सर्वाधिक विस्तृत है।
  • मानव भूगोल एक गत्यात्मक विज्ञान है जिसकी परिधि मानव सभ्यता के विकास के साथ- साथ विस्तृत होती गयी है।
  • मानवीय आवश्यकताओं के निरन्तर वृद्धि से मनुष्य तथा पर्यावरण के पारस्परिक सम्बन्धों की जटिलता क्रमशः बढ़ती गयी है।
  • मानव भूगोल के दोनों मौलिक पक्ष-मनुष्य और पर्यावरण गतिक एवं परिवर्तनशील है। मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र में अग्रोन्मुख परिवर्तन होना स्वाभाविक ही है।
  • मानव भूगोल के अंतर्गत मनुष्य एवं पर्यावरण तथा इनकी अंतर्क्रिया से उद्भुत सभी तथ्यों को समाहित किया जाता है।
  • किसी भी प्रदेश में मानव समूह तथा वहाँ की पर्यावरणीय दशाओं में पारस्परिक सम्बन्ध होता है। विभिन्न स्थानों पर आवास बनाकर मनुष्य रहते हैं तथा स्थानान्तरण भी करते हैं।
  • मानव या मानव समूह अपनी विविध आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कोई व्यवसाय अपनाता है जिससे वह जीविका या आय अर्जित करता है।
  • जनसंख्या और अधिवास एक दूसरे के अभिन्न अंग है जिन्हें एक साथ आवास के अंतर्गत समाहित किया जाता हैं।
  • मनुष्य की उच्चतर आवश्यकतायें सामान्यतः सामाजिक तथा सांस्कृतिक होती है। मानव भूगोल एक सामाजिक विज्ञान है जिसके अंतर्गत विभिन्न सामाजिक तथ्यों का भौगोलिक विवेचन किया जाता
  • विशिष्ट तथ्यों के अनुकूल विशिष्ट अध्ययन की परम्परा के परिणामस्वरूप मानव भूगोल की अनेक शाखायें एवं प्रशाखायें उद्भुत हुई हैं।
  • मानव विज्ञान मानव समूहों और उनके व्यवहार तथा उत्पादनों का विज्ञान है।
  • विभिन्न मानव प्रजातियों के विकास की वैज्ञानिक व्याख्या करना मानव विज्ञान का परम उद्देश्य होता है।
  • मानव भूगोल में भी भूतल के विभिन्न भागों में पायी जाने वाली मानव प्रजातियों के वितरण, उद्भव एवं विकास से संबंधित भौगोलिक विवेचना की जाती है।
  • मानव विज्ञान एवं मानव भूगोल का घनिष्ठ सम्बन्ध है।
  • विभिन्न मानव प्रजातियों के गुणों या विशेषताओं के भौगोलिक विवेचन में मानव विज्ञान के सिद्धान्तों तथा नियमों की सहायता लेना आवश्यक हो जाता है।
  • मानवशास्त्रीय अध्ययन में भी प्रजातियों के वितरण सम्बन्धी अध्ययन में मानव भूगोल सहायक होता है।
  • सामाजिक भूगोल मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें पर्यावरण के सम्बन्ध में मनुष्य के विभिन्न सामाजिक पक्षों के क्षेत्रीय व्यवस्थापन का अध्ययन किया जाता है।
  • समाजशास्त्रीय अध्ययनों में भौगोलिक ज्ञान सहायक होता है।
  • विविध आर्थिक पक्षों का भौगोलिक अध्ययन मानव भूगोल की एक विशिष्ट शाखा आर्थिक भूगोल में किया जाता है।
  • अर्थशास्त्र के अनेक सिद्धान्तों तथा नियमों का प्रयोग आर्थिक भूगोल के अध्ययनों में किया जाता है।
  • मानव भूगोल मानव सभ्यता के इतिहास का अध्ययन भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में करता है। किसी भी देश के इतिहास पर वहाँ के भौगोलिक पर्यावरण एवं परिस्थितियों का गहरा प्रभाव पाया जाता है।
  • मानवीय एवं प्राकृतिक पर्यावरण में परिवर्तन के परिणामस्वरूप ही किसी देश के इतिहास का निर्माण होता है।
  • मानव भूगोल एवं राजनीति विज्ञान परस्पर घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित हैं।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 मानव भूगोल : अर्थ, प्रकृति एवं क्षेत्र
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 पुराणों के विशेष सन्दर्भ में भौगोलिक समझ का विकास
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 मानव वातावरण सम्बन्ध
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 जनसंख्या
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 मानव अधिवास
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 ग्रामीण अधिवास
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 नगरीय अधिवास
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 गृहों के प्रकार
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 आदिम गतिविधियाँ
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 सांस्कृतिक प्रदेश एवं प्रसार
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 प्रजाति
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला
  34. अध्याय - 12 धर्म एवं भाषा
  35. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 13 विश्व की जनजातियाँ
  38. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  39. उत्तरमाला
  40. अध्याय - 14 भारत की जनजातियाँ
  41. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  42. उत्तरमाला

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